Pracheen Bhartiya Gyaan Saar / प्राचीन भारतीय ज्ञान सार
- Author Er. V.K. Jain
- ISBN: 978-93-92549-16-8
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₹ 333.00
Book Detail | |
Publication Year | 2022 |
ISBN-13 | 978-93-92549-16-8 |
ASIN | 9392549168 |
Language | Hindi ( हिन्दी) |
Edition | 1st |
Pages | 317 |
Preface | |
Preface | हजारो साल से भारतीय संस्कृति पर यवनो, तुर्को, मुगलों, फ्रांसिसी, पुरतागली यहां तक कि ईस्ट इंडिया कंपनी और अंगरेजो के माध्यम से प्रहार किया जाता है । लेकिन हम विचलित नहीं हुए और विश्व में अपनी ख्याति उपार्जित करते रहे , यह प्राचीन भारतीय परम्परा का असर है। अतएव यह उचित है की वर्तमानभारतीय सरकार ने यह विषय पर ध्यान दिया और बुक राइटिंग के लिए आधार पर दान किया। भारतीय छात्रों के लिए यह वर्तमान पुस्तक किसी भी समय तकनीकी और इंजीनियरिंग छात्रों के अध्ययन के लिए उपयुक्त है। यह पुस्तक हिंदी में लिखी गई है और संस्कृत के श्लोकों का हिंदी में अनुवाद है। आशा है कि यह पुस्तक वर्तमान पाठकों को इस ग्रंथ से लाभान्वित करेगी और स्वेच्छा से स्वीकार्य होगी। प्रशस्त पुस्तक "प्राचीन भारतीय ज्ञान सार" भारतीय परम्परा पर आधार चार वेद तथा उपवेदो के श्लोकों का प्रयोग और उनका भावार्थ हिंदी में दिया गया है यह पुस्तक निम्नालिखित है की इसमे सारे विषय शमील है। |
Table of Contents | |
Table of Contents | 1. प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्पराएं 2.ऋग्वेद 3.यजुर्वेद 4.सामवेद 5.अथर्ववेद 6.उत्तर वैदिक काल 7.उपवेद, आयुर्वेद 8.धनुर्वेद 9.गंधर्व वेद 10.भारतीय स्थापत्य कलां 11.पष्ठ वेदांग 12.उपांग तथा धर्म शास्त्र 13.मीमासा 14.पुराण 15.तर्कशास्त्र: |